आज लड़ना है बाबाओ से.. कुछ वर्ष पूर्व एक तांत्रिक चंद्रास्वामी जेल गया था, जो सरकार बनाता भी था और गिराता भी था। आज आसाराम, रामपाल, राम रहीम व फलाहारी बाबा जेल की कोठियों में बंद पड़े हैं। समस्याएं यहीं खत्म नहीं हुई समस्या यहां से ही शुरु होती है, क्योंकि "राजा मारा गीगली जाई रहे तीन के तीन", यानी एक अंदर जाता है, 10 नए पैदा हो जाते हैं। जो नाम आप जानते हैं यह तो 10-20 होंगे पर छोटी-मोटी जेलों में छोटे-मोटे हजारों बाबा पड़े हैं, और हजारों देश की सड़कों पर फिर रहे हैं। यह बाबा लोग सरकार शासन प्रशासन की नाक के नीचे ही फलते-फूलते हैं। इसका परिणाम इन पाखंडी बाबाओं के साथ राजनेताओं और अधिकारियो की फोटो पर वीडियो क्लिपिंग में साफ नजर आता हैएक पुरानी कहावत है "राम द्वारे लुगाया बिगड़े, गढ़ बिगड़े गोळा सु, अर खेती बिगड़े झोला सु"आपको कुछ भी करने कराने की जरुरत नहीं है, आप सिर्फ अपना आपा सुधार लो, बाकी हम देख लेंगे। लड़ाई तो मानव को जन्म से लड़नी पड़ रही है वह चाहे प्रकृति से हो, चाहे आदमी से हो, हवा से हो, पानी से हो, आगे भी लड़नी पड़ेगी। अब समय के साथ बाबाओं से नई लड़ाई लड़नी पड़ रही है। आप आसपास देखो आदमी बिना मेहनत के सब कुछ पाना चाहता है, इसी प्रवर्ति ने बाबा पैदा किए हैं। अगर आप यह ठान ले के बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलना, तो कोई बाबा आपके पास नहीं फटकेगा। किसी ने कहा है कि कमजोर आदमी बाबाओं का सहारा लेते हैं, ऐसा न हो इसलिए बाबाओं से लड़ना सीखना समय की पुकार है और जरूरी भी
जय जनरखवाला
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