एक बार पंडित जवाहरलाल नेहरू लाल किले की सीढ़ियां चढ़ रहे थे कि अचानक लड़खड़ा गये और वो गिरने ही वाले थे पीछे से उन्हें रामधारीसिंह दिनकर हिंदी के प्रख्यात कवि ने थाम लिया और पंडित जवाहरलाल नेहरू गिरने से बचे तब पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने मनीषी तथा बुद्धिजीवी रामधारीसिंह दिनकर जी से कहा कि जब जब देश की राजनीति का स्तर गिरने लगे तो साहित्य और मनीषी अथवा बुद्धिजीवी ही उसे संभालता है और संबल देता है।जब किसी देश का पतन होता है या पतन की राह पर चल पड़ता है तो उसकी यह पहचान होती है उस देश के हुक्मरान अथवा सत्ताधीश देश के बुद्धिजीवी वर्ग और साहित्यकारों पर सबसे पहले हमला करते हैं।जर्मनी में हिटलर के समय ऐसा ही हुआ वहां विश्व के श्रेष्ठ वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को नहीं बख्शा गया।पाकिस्तान में भी समय समय पर बुद्धिजीवियों पर हमले होते आए हैं, विश्व के प्रख्यात कवि फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ को लंबे समय तक जेल में रखा गया। ऐसा ही बंग्लादेश में हुआ, सीरिया, अफ़गानिस्तान, इराक़ आदि में हुआ था अब यह सब भारत में भी होने वाला है।।आज भारत में निरंतर बुद्धिजीवियों पर शारारिक और मानसिक रूप से हमले किए जा रहे हैं। उन्हें देशद्रोही कहा जाता है।भाजपा के नेता तो खुले आम कहते हैं कि देश के सारे बुद्धिजीवियों को मार देना चाहिए या पाकिस्तान भेज देना चाहिए|वो इसलिए भी कहते हैं कि उनको पता है कि बुद्धिजीवियों पर वे सत्ता हासिल करने के बाद भी शासन नहीं कर सकेगें। वे खूब समझते हैं कि उनको मूरों ने चुना है और वे मूरों पर ही शासन कर सकते हैं।खैर, अब आज के परिप्रेक्ष्य में सब कुछ वैसा ही है जैसा किसी देश की तबाही से पहले होता है।साहेब के नेतृत्व में भारत पूरी तरह से बर्बादी के हाई वे पर बहुत द्रुत गति से दौड रहा है ।और मूर्ख लोग यह देख कर खुश हैं कि रफ्तार कितनी तेज है।धन्यवाद--
Albert - पंडित जवाहरलाल नेहरू लाल