बह मना करने वाली कौन है ? मेरे गांव में एक शांति ताई रहती थीशांति का व्यवहार नाम के विपरीत था। वह दिन भर गांव-गुहांड में पुरुष व महिलाओं से लड़ती झगड़ती रहती थी। एक दिन सुबह-सुबह शांति ताई बड़बड़ाती हुई किसी के घर से अपने घर पर आ रही थी। उसी समय उसे उसके घर से निकलते हुए छन्नो लोहारी मिल गई। शांति ने लोहारी से पूछा कि तू कहां गई थी? लुहारी ने कहा मैं तो आपके घर छाछ लेने गई थी। फिर शांति ने कहा कि क्या हुआ? लुहारी ने कहा बहू थी उन्होंने मना कर दिया। इस पर शांति ने ताव में आकर कहां बहू ने ऐसे कैसे मना कर दिया, चल मेरे साथ शांति आगे-आगे बड़बड़ा रही थी, "इतनी हिम्मत छाछ के लिए मना कर दिया"लोहारी चुपचाप शांति के पीछे-पीछे चल रही थी। घर पर जाते ही शांति ने बहू को डांट पिलाई की तू छाछ को मना करने वाली होती कौन है? यह मेरा घर है, इसमें मैं जो कहूंगी वह होगा, मैं करूंगी वह होगा। बहू बेचारी डर से कांपने लगीतभी शांति ने तपाक से लुहारी से कहा कि मैं छाछ नहीं डालूंगी
जय जनरखवाला
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