फिरोज गान्धी

फिरोज गान्धी


भारत के पहले संसदविद्ध ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चील ने कहा की ग्रेट ब्रिटेन की संसद की तर्ज पर बनाई गई भारत की संसद - ये कैसी संसद है जिस में किसी को बोलना तक नहीं आता सवाल पूछना नहीं आता प्रश्नकाल क्या होता है किसी को नहीं पता अधिकार और विशेषाधिकार को कोई नहीं जानता शून्यकाल का किसी को नहीं पता जिन लोगों को ये सब नहीं पता वे काम रोको प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव के बारे में तो दशकों तक नहीं सीख सकते भारत की ये संसद अनपढ गंवार व पैसे वालों के बैठने का एक कॉफी हाउस है उस के सिवा कुछ नहीं और इस की तुलना ग्रेट बिर्टन की संसद से करना एक भद्दा मजाक है ये सही है की तब ज्यादातर सांसद नये थे कुछ को अंग्रेज़ी सरकार के समय राज्य परिषद के चुनावों का अनुभव था पर ज्यादातर नये थे हालांकि पहले लोकसभा अध्यक्ष मालगांवकर साहब की विद्धता का लोहा पूरा विश्व मानता था वे हर तरह से नये सांसदों को कार्यशाला लगा कर या संसद में भी बता कर इसी कमी को पूरा करने के प्रयास करते थे पर तब भी जब एक सांसद फिरोज गांधी बोलते थे तो पूरा सदन एकसार होकर सुनता था वैसे वे रायबरेली से सांसद थे पर देश की हर समस्या का उन्हें पता था और उस पर वे पूरी गहनता के साथ बोलने का साहस रखते थे एक बार दिल्ली की झुग्गी झोंपड़ियों की समस्याओं के लिए तो वे प्रधानमंत्री नेहरु जी से उलझ गये की उन्हें भी जीने के लिए सुविधाओं का अधिकार है रहने की जगह दो समय की रोटी और पहनने के कपड़े तो उन्हें मिलने ही चाहिए भले ही आप नव स्वतंत्र राष्ट्र हो आप शिक्षा सङक बिजली का प्रबंध ना कर पाओ पर जीने के लिए आवश्यक वस्तुओं का प्रबंध करना आप का पहला कृतव्य है


पांच भाई बहनों में सबसे छोटे फिरोज पारसी परिवार में पिता जंहागीर व माता रतिमाई के साथ तत्कालीन बंबई में नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे छोटी उम्र में ही पिता के निधन के बाद वो मौसी डाक्टर शिरीन कमिंसिरीट जो की लेडी डफरीन होस्पीटल में सर्जन थी के पास रहने इलाहाबाद आ गए यहां फिरोज ने विधा मंदिर स्कूल से हाई स्कूल व इननिंग क्रिस्चियन कालेज से उन्होंने स्नातक की डिग्री ली वे वैसे ही पारसी थे जैसे टाटा परिवार है जमशेद जी जहांगीर जी नोशेरेवान जी पेष्टन जी सब टाटा परिवार के सदस्य