किसान ही किसानों का हित सोचेगा

जरा सोचिए...किसान ही किसानों का हित सोचेगा.... कार्ल मार्क्स ने कहा था कि जो आदमी जिस वर्ग का है वह उसी वर्ग के हित की बात सोचेगा। कहने को तो यह छोटी सी लाइन वर्षों पूर्व कही गई थी, पर आप एक बार जरा सोच कर देखोगे तो पाओगे कि यह लाइन किसी समय की मोहताज नहीं हैयह आज भी उतनी ही महत्व रखती है, जितना उस समय रखती थी। आज आप देखोगे किसान की मूंगफली 2500 रूपए में बिक रही है, कोई नहीं बोल रहा क्योंकि आपका कोई है नहीं। जब तक आप का प्रतिनिधित्व आप स्वयं नहीं करोगे तब तक आपका भला कैसे होगा? और कौन करेगा? व क्यों करेगा? कल चुनाव होंगे लंबी गाड़ी में बैठ कर एक आदमी सफेद कुर्ता-पायजामा पहन कर आएगा और आप उसे अपना नेता मान कर वोट दे दोगे। वह आपका कब से हो गया, यही समझने की जरूरत है। वह मूंगफली नहीं बोता, वह भैंस, गाय, भेड़, बकरी नहीं पालता। वह तो अलग प्रजाति है और रहेगी। इसलिए किसान का हित किसान ही सोचेगाजय जन रखवाला