मांगूगा और खाऊंगा..

मांगूगा और खाऊंगा.. आज दहेज देना भी अपराध है, और लेना भी अपराध है। प्राचीन काल से ही दहेज एक सामाजिक बुराई रही है जो आज भी हमारे सामने मुंह बाए खड़ी है। इतनी बड़ी समस्या है, सामाजिक बुराई है, सरकार ने कानून भी बना दिया, फिर भी दहेज लोभियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी होती जा रही है। मेरे साथ भी इसी प्रकार की घटना गत दिनों घटित हुई। मेरे ताऊजी गिरधारी लाल अध्यापक हैं व उनका बेटा भी गलती से अध्यापक नियुक्त हो गया। अब ताऊ जी ने गांव में बेटे की नीलामी का प्रस्ताव रख दिया, तो हमारे पास ही हरियाणा के एक आदमी ने हिम्मत जुटाई और ताऊ जी से मोलभाव कर के मामला पक्का कर दिया। ताऊ जी के बेटे की शादी हो गई। बारात की अच्छी सेवा की गई और दान दहेज भी खूब दिया। सभी कह रहे थे कि भाई बढ़िया शादी कर दी। पर गिरधारी एक कोने में उदास बैठे थे। लड़की के पिता ने भाप लिया कि कुछ गड़बड़ है। समझदार आदमी थे उन्होंने मेरे ताऊ से कहा चौधरी जी दुल्हन और बारात को खाना कर दे कोई कमी रह गई हो तो मैं पूरी करूंगा। ताऊ खुश हो गया तुरंत बारात को खाना कर दिया बारात रवाना होने के बाद ताऊ जी ने कहा कि आप कुछ कह रहे थे। तो इस पर लड़की के पिता ने कहा हां मैंने सोचा कुछ कमी रह गई, इसलिए आप उदास हैं, सो चौधरी जी घर में था वह सब कुछ तो मैं दे चुका हूं, दादरी तहसील में चलो, मेरे पास चार किले जमीन है, यह और आपके नाम कर देता हूं और कटोरा हाथ में ले लेता हूं, मांगूगा और खाऊंगाजय जनरखवाला