मैं गिलास लेकर आया हूं

मैं गिलास लेकर आया हूं


पुराने जमाने की बात है जब टेंट व् केटरिंग का सामान किराए पर नहीं मिलता था उसी समय गांव में बारात आई तो घर-घर जाकर टेंट व् केटरिंग का सामान गांव वालों ने इकट्ठा किया। दो दिन तक बारात में सामान काम में लिया और जब बारात चली गई तो सामान एकत्र कर लोगों के घरों तक पहुंचाने का काम लोगों ने कर लिया। पर किसी का एक गिलास कम पड़ गया वह कहीं नहीं मिल रहा था और सभी से पूछ भी लिया था पर सभी लोगों ने मना कर दिया कि हमारे घर पर गिलास नहीं है। उसी समय गांव का एक बुजुर्ग आदमी आया, उसने कहा कि मेरे पास गिलास ढूंढने का एक उपाय है, गांव वाले खुश हो गए कि भाई जल्दी से यह उपाय बताओ, ताकि गिलास मिल जाए। उस व्यक्ति ने कहा कि मेरे पास एक सांप है जो सिर्फ गिलास चुराने वाले को ही खायेगा। सांप पहले से ही मरा हुआ था |उसने उस सांप को रास्ते पर लंबा बिछा दिया और कहा कि गांव के हर आदमी-औरत को इसके ऊपर से गुजरना पड़ेगा। लोग खुश होकर एक-एक कर सांप के ऊपर से गुजरने लगे। सांप ने किसी को नहीं खाया। एक आदमी अभी बचा हुआ था। उसको गांव वालों ने कहा भाई पूरा गांव सांप के ऊपर से निकल आया, अब आपको भी इसके ऊपर से निकलना पड़ेगा। उसी समय उस आदमी ने कहा कि यह तो मुझे पता ही है कि पूरे गांव छेड़ा हुआ सांप मुझे ही काटेगा, तो मैं गिलास लेकर ही आया। जय जनरखवाला