---------विस्वास-----आज इस दुनियॉ में विस्वास का बड़ा संकट है,आप पर बंदा विस्वास करता है ओर नहीं भी।मेरे एक पुराने मित्र हैं उनके पास किराये पर देने के लिये 2-3 मकान होते थे।मेरे कहने पर मकान किराये पर दे देते थे।1986 में मुझे खुद को मकान की जरुरत थी,वो मित्र मिले, मैंने पूछा मकान खाली है,वो बोले हाँ यार महीना हो गया एक मकान खाली है,कोई किरायेदार हो तो बताना।मैंने कहा मुझे खुद को चाहिये, वो झट से बोला तुझे नहीं दूंगा,मैंने कहा ये क्या बात हुई, मेरी गारंटी पर दूसरों को देते हो ओर मुझे नहीं।बोला भाई बुरा मत मानना, मैं वकील, जाटओर कामरेड को मकान नहीं देता,तुझ में तो तीनों हैं।मैंने पूछा क्यों?, बोला कब्ज़ा कर लेते हैं।ऐसे ही एक मित्र का मैंने ही कोशिश करके मकान खाली करवाया,जब खाली हो गया तो बोला अब किसी शरीफ किरायेदार को दूंगा।मैंने कहा मुझे जरुरत है,दे दो ,तुरंत बोला ना, बड़ी मुश्किल से खाली हुआ है तूने कब्ज़ा कर लिया तो कौन खाली करवाएगा।आज तक ना तो कोई मकान कब्ज़ा किया,ना किसी का किराया रखा,फिर भी ये छवि है------क्या किया जाये।जय जनरखवाला।
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